इस आदर्श मंदिर की कहानी से जुड़े हमारे नए वीडियो में हम आपको एक अद्भुत और भक्तिपूर्ण यात्रा पर लेकर जाते हैं। देखें कैसे भगवान का आशीर्वाद एक छोटे से मंदिर के रूप में अद्वितीय रूप से प्रकट होता है। यह कहानी हमें धार्मिक और मानवता के महत्वपूर्ण संदेश देती है। वीडियो को देखकर आप भी इस अद्वितीय यात्रा का हिस्सा बनेंगे।
Tuesday, 3 October 2023
Saturday, 5 March 2022
कृष्णा जी की आरती | Krishna ji ki aarti |
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥२॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥२॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥२॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥२॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू, हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥२॥
Friday, 4 March 2022
आरती श्री रामायण जी की |
आरती श्री रामायण जी की
आरती श्री रामायण जी की, कीरति कलित ललित सिया-पी की,
गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद, बालमीक विज्ञान विशारद
शुक सनकादि शेष अरु शारद, बरनि पवनसुत कीरति नीकी || 1 ||
आरती श्री रामायण जी की, कीरति कलित ललित सिया-पी की,
गावत वेद पुरान अष्टदस, छओं शास्त्र सब ग्रन्थन को रस ||
मुनि-मन धन सन्तन को सरबस, सार अंश सम्मत सबही की || 2 ||
आरती श्री रामायण जी की, कीरति कलित ललित सिया-पी की,
गावत सन्तत शम्भू भवानी, अरु घट सम्भव मुनि विज्ञानी
व्यास आदि कविबर्ज बखानी, कागभुषुण्डि गरुड़ के ही की || 3 ||
आरती श्री रामायण जी की, कीरति कलित ललित सिया-पी की,
कलिमल हरनि विषय रस फीकी, सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की,
दलन रोग भव मूरि अमी की, तात मात सब विधि तुलसी की || 4 ||
आरती श्री रामायण जी की, कीरति कलित ललित सिया-पी की ||
Thursday, 3 March 2022
लड्डू गोपाल की आरती | धार्मिकग्रन्थ
लड्डू गोपाल की आरती
आरती जुगल किशोर की कीजै,
राधेधन न्यौछावर कीजै ॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा,
ताहि निरखि मेरा मन लोभा ।।
गौर श्याम मुख निरखत रीझै,
प्रभु को स्वरूप नयन भर पीजै।
कंचन थार कपरू की बाती,
हरि आयेनि र्मलर्म भई छाती।
फूलन की सेज फूलन की माला,
रतन सिंहासन बैठेनन्दलाला।
मोर मुकुट कर मुरली सोहै ,
नटवर वेष देखि मन मोहै।।
आधा नील पीत पटसारी,
कुञ्ज बिहारी गिरिवरधारी।।
श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,
आरती करेंसकल ब्रजनारी।।
नन्द लाला वृषभान् किशोरी,
परमानन्द स्वामी अविचल जोरी ।।
आरती जुगल किशोर की कीजै,
राधेधन न्यौछावर कीजै ।।
Friday, 5 April 2019
Shri Satyanarayan Bhagwan Ki Aarti |
श्री सत्यनारायण भगवान की आरती
जय श्री लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा |सत्यनारायण स्वामी, जनपातक हरणा ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
रत्न जडित सिंहासन, अद्भुत छवि राजै |
नारद करत निरंतर, घंटा ध्वनि बाजै ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो |
बूढा ब्राह्मण बन के, कंचन महल कियो ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
दुर्बल भील कराल जिन पर कृपा करी |
चन्द्रचूढ़ इक राजा तिनकी विपत हरी ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा ताज दीनी |
सो फल भोग्यो प्रभु जी फेर स्तुति कीन्ही ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो |
श्रद्धा धारण कीनी जन को काज सरयो ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
ग्वाल बाल संग राजा बन में भक्ति करी |
मनवांछित फल दीना दीनदयाल हरी ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
चढ़त प्रसाद सवाया कदली फल मेवा |
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई गावै |
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावै ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
जय श्री लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा |
सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा ||
जय श्री लक्ष्मी रमणा...
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Thursday, 4 April 2019
Balaji Ki Aarti |
श्री बालाजी की आरती
ॐ जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा |संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
पवन पुत्र अंजनीसुत महिमा अति भारी |
दुःख दरिद्र मिटाओ संकट सब हारी ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
बाल समय में तुमने रवि को भक्ष लियो |
देवन स्तुति किन्ही तब ही छोड़ दियो ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई |
बाली बलि मराये सुग्रीवही गद्दी दिलवाई ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
जारि लंक को सिय की सुधि वानर हर्षाये |
कारज कठिन सुधारे, रघुवर मन भाये ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
शक्ति लगी लक्ष्मण के भारी सोच भयो |
लाय संजीवनी बूटी दुःख सब दूर कियो ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
ले पाताल अहिरावण जबहि पैठी गयो |
ताहि मारि प्रभु लाये जय जयकार भयो ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
घाटे मेंहदीपुर में शोभित दर्शन अति भारी |
मंगल और शनिश्चर मेला है जारी ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
श्री बालाजी की आरती जो कोई नर गावे |
कहत इंद्र हर्षित मनवांछित फल पावे ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
ॐ जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा |
संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा ||
ॐ जय हनुमत वीरा...
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Friday, 1 March 2019
hanumanji ki aarti |
श्री हनुमानजी की आरती - भगवान श्री राम जी के परम भक्त जाने वाले हनुमान जी का सच्चे मन से ध्यान करने मात्र से ही दर और भय दूर हो जाते है | हिन्दू धर्म के अनुसार श्री हनुमानजी को भगवान शिव जी का अवतार माना जाता है | श्री हनुमानजी की पूजा अर्चना में हनुमान चालीसा, हनुमानजी की आरती, मंत्र एवं पाठ किया जाता है |
श्री हनुमानजी की आरती
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
जाके बल से गिरिवर काँपै |
रोग - दोष जाके निकट न झांपै ||
अंजनी पुत्र महा बलदाई |
संतन के प्रेम सदा सहाई ||
दे बीरा रघुनाथ पठाये |
लंका जारी सिया सुधि लाये ||
लंका सो कोट समुद्र सी खाई |
जात पवनसुत बार न लाई ||
लंक जारी असुर संहारे |
सिया रामजी के काज सँवारे ||
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे |
आनि सजीवन प्राण उबारे ||
पैठी पाताल तोरि जम - कारे |
अहिरावन की भुजा उखारे ||
बांये भुजा असुर दाल मारे |
दहिने भुजा संतजन तारे ||
सुर नर मुनि आरती उतारे |
जै जै जै हनुमान उचारे ||
कंचन थाल कपूर लौ छाई |
आरती करत अंजना माई ||
जो हनुमान जी की आरती गावै |
बसी बैकुंठ परम पद पावै ||
लंक विध्वंश किये रघुराई |
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ||
आरती कीजै हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
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Shri Hanuman Chalisa lyrics In hindi
Shri Hanuman Chalisa Lyrics In Hindi | श्री हनुमान चालीसा अनुवाद हिंदी में
जय कपीस तिहुं लोक उजागर || १ ||
अंजनि पुत्र पवन सूत नामा || २ ||
कुमति निवार सुमति के संगी || ३ ||
कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कानन कुण्डल कुंचित केसा || ४ ||
काँधे मूंज जनेऊ साजै || ५ ||
तेज प्रताप महा जगबंधन || ६ ||
राम काज करिबे को आतुर || ७ ||
राम लखन सीता मन बसिया || ८ ||
विकट रूप धरी लंक जरावा || ९ ||
रामचंद्र जी के काज संवारे || ९० ||
श्रीरघुवीर हरषि उर लाये || ११ ||
तुम मम प्रिय भरत सम भाई || १२ ||
अस कहि श्रीपति कंठ लगावे || १३ ||
नारद सारद सहित अहिंसा || १४ ||
कवि कोविद कहि सके कहां ते || १५ ||
राम मिलाये राजपद दीन्हा || १६ ||
लंकेश्वर भये सब जग जाना || १७ ||
लील्यो ताहि मधुर फल जानू || १८ ||
जलधि लांघ गए अचरज नाहीं || १९ ||
सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते || २० ||
होत न आज्ञा बिनु पैसारे || २१ ||
तुम रक्षक काहू को डरना || २२ ||
तीनों लोक हांक ते कापैं || २३ ||
महावीर जब नाम सुनावै || २४ ||
जपत निरंतर हनुमत बीरा || २५ ||
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै || २६ ||
तिन के काज सकल तुम साजा || २७ ||
सोई अनित जीवन फल पावै || २८ ||
है प्रसिद्ध जगत उजियारा || २९ ||
असुर निकंदन राम दुलारे || ३० ||
अस वर दीन जानकी माता || ३१ ||
सदा रहो रघुपति के दासा || ३२ ||
जनम जनम के दुःख बिसरावै || ३३ ||
जंहा जन्म हरी भक्त कहाई || ३४ ||
हनुमत सेई सर्व सुख करइ || ३५ ||
जो सुमिरे हनुमत बलबीरा || ३६ ||
गोंसाई, कृपा करो गुरु देवकी नाई || ३७ ||
छुटहि बंदि महा सुख होई || ३८ ||
होय सिद्धि साखी गौरीसा || ३९ ||
कीजेये नाथ ह्रदय मंह डेरा || ४० ||